शहर में एक बार फिर स्वच्छता सर्वेक्षण की उल्टी गिनती शुरू हाे गई है। शहर की सफाई को परखने के लिए केंद्रीय टीम अगले 48 घंटे में कभी भी पहुंच सकती है, लेकिन शहर इसके लिए अभी भी तैयार नहीं है। क्याेंकि...सर्वेक्षण में इस बार कचरा मुक्त शहर को प्राथमिकता दी गई है। ऐसे में हमारा नगर निगम डाक्यूमेंट्स से अंक जुटाने की कवायद में जुटा हुअा है। जबकि जमीनी हकीकत में सफाई में सुधार की ज्यादा जरूरत है। वैसे ताे देशभर में सफाई की परीक्षा शुरू हुए पांच साल ही हुए हैं, लेकिन हमारा शहर कचरा मुक्त होने की दिशा में 14 साल पहले ही काम करने लग गया था। तब से अफसरों में इच्छाशक्ति की कमी के चलते हम टॉप 100 में भी शामिल होने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। एक बार फिर अफसर स्थाई प्लानिंग करने की बजाय सर्वे के दाे माह पूर्व तय मापदंड पूरे करने में जुटे हैं। इसी के दम पर दूसरे चरण की परीक्षा में 10 लाख आबादी वाले शहरों में जोधपुर, जयपुर से 14 अंक आगे रहा, लेकिन चार हजार से ज्यादा शहरों में हमारी रैंकिंग अभी भी 588 है। रैंकिंग के लिए निगम हमसे वोटिंग की अपील करेगा। बहकावे में आकर यदि हमने स्वच्छता के लिए वोट दे दिया तो कभी साफ नहीं होगा हमारा शहर।
स्वच्छता सर्वेक्षण-2020
2006-07
वेस्ट निस्तारण से कम्पोस्ट का एमआेयू
...अाैर अब : एमआरएफसी सेंटर, वेस्ट कलेक्शन के लिए केबिननुमा ब्लॉक बनाए
2013-14
कचरे के सेग्रिकेशन के साथ कमाई का प्लान
वेल्लौर जिले के कचरा प्रबंधन विशेषज्ञ सी. श्रीनिवासन ने जोधपुर नगर निगम के साथ इस प्लांट को देखा। इसके बाद शहर का सर्वे किया। कचरा बीनने वालाें आैर उसे खरीदने वाले कबाड़ियों से बातचीत की। सूखे-गीले कचरे का सेग्रिकेशन के बाद निस्तारण के दावे हुए। भामाशाहों से फंड जुटाया अाैर संसाधन खरीदे। तब दावा किया कि ऐसा करने से शहर कचरा मुक्त तो हाेगा। साथ ही हर माह 75 लाख की कमाई हाेगी।
इसलिए फेल- मास्टर कचरा स्थल बनाना था, जाे नहीं बना। विशेषज्ञ काे हर महीने 12 लाख का भुगतान किया, लेकिन उसने निगम पर असहयाेग का अाराेप लगा शहर छाेड़ दिया।
शहर को कचरा मुक्त बनाने अाैर सूखे कचरे से विभिन्न प्रकार के वेस्ट रिकवरी करने के लिए मटीरियल रिकवरी फेसिलिटी सेंटर (एमआरएफसी) स्थापित किया जा रहा है। प्लांट के इन्फ्रास्ट्रक्चर पर पांच लाख खर्च किए हैं। सेंटर चलाने के लिए 44.80 लाख की लागत से टेंडर निकाला है। निगम का दावा है कि सूखे कचरे से निकलने वाले वेस्ट का कलेक्शन कर गीले कचरे से कम्पोस्ट बनाएंगे। बंद पड़े 64 पॉन्ड सुधार रहे हैं।
इसलिए हाे सकता है फेल- सिर्फ 40 फीसदी घराें से ही डाेर-टु-डाेर कलेक्शन हाे रहा है। जहां से हाे रहा है, वहां भी सूखा अाैर गीला कचरा एकसाथ ले रहे हैं अाैर अभी तक काेई कंपनी अागे नहीं अाई है।
2014-15
आमिर को बुलाया, 18 माह में स्वच्छता का दावा
निगम ने अभिनेता आमिर खान को जोधपुर बुलाया। आमिर खान ने 15 अगस्त 2014 को पुराना स्टेडियम में सफाई और कचरा प्रबंधन अभियान ‘स्वच्छ जोधपुर, स्वस्थ जोधपुर’ की शुरुआत स्वयंसेवकों को हरी झंडी दिखाकर की। तब आमिर ने कहा था कि इस योजना से 18 माह में जोधपुर ऐसा बड़ा काम कर दिखा सकता है, जिसे बाद में पूरा देश अपनाए।
इसलिए फेल- स्वयंसेवकाें काे भाड़े पर लाए थे। भाड़ा नहीं चुकाया। अामिर खान काे झूठ बाेला- उनसे किया कमिटमेंट भी पूरा नहीं किया। दाे माह में ही पूरा प्राेजेक्ट बंद हाे गया।
रहवासी की जुबानी ‘स्वच्छता’ की कहानी...
वार्ड-50 : घरों के पास कचरे का मलबा...
नागौरी गेट इलाके में नियमित सफाई नहीं होने से कचरे का ढेर लगा रहता है। जावेद ने बताया कि एक जगह थोड़ा कचरा एकत्रित होते ही लोग वहीं कचरा डालने लग जाते हैं। घरों के पास डंपिंग स्टेशन जैसे हालात हो गए हैं। निगम से शिकायत कर थक गए, लेकिन कचरे का मलबा बढ़ता ही जा रहा है।
2019-20
तीन साल एक्सपर्ट को प्लांट सौंपने का टेंडर
पिछले स्वच्छता सर्वे के समय निगम प्रशासन ने केरू में जंग खा रहे करोड़ों के सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट काे तीन साल तक संचालन व रखरखाव के लिए डेढ़ कराेड़ रुपए खर्च कर एक्सपर्ट कंपनी को देने का ऐलान किया। निगम सभागार में बैठक बुलाई, जिसमें शीघ्र टेंडर खोलने आैर काम शुरू करने का दावा किया गया।
इसलिए फेल- नगर निगम ने प्लांट में काेई खर्च नहीं किया। टेंडर में शर्तें एेसी लगाई कि कंपनियाें काे रास ही नहीं अाई। निगम ने जो टेंडर निकाले थे, उन्होंने अखबाराें में ही दम ताेड़ दिया।
रैंकिंग के लिए नगर में कागजी सफाई दिखा रहा निगम भावना में बहकर वोटिंग की तो स्वच्छ नहीं होगा शहर